आठवीं कक्षा में फेल होने के बाद त्रिशनित ने कंप्यूटर के अपने शौक को ही कॅरिअर बनाने का फैसला लिया। वे देश के सबसे कम उम्र के सीईओ में एक हैं।
'Hacking talk with trishnit Arora ' ' the king Era ' Hacking with smart phone' जैसी किताबें लिख चुके हैं। वे साइबर क्राइम के लिए पुलिस को भी अपनी सर्विस देते हैं।
लुधियाना(पंजाब). कम्प्यूटर में गहरी दिलचस्पी। इस वजह से पढ़ाई के दौरान एग्जाम में फेल भी हो गए। घर वालों ने नाराजगी जताई। लेकिन इस लड़के की जिद अलग थी। कुछ नया, पर अपने मन की करना। उन्होंने कर दिखाया। तभी तो महज 22 साल की उम्र में त्रिशनित अरोड़ा नाम का ये लड़का आज करोड़ों का कारोबार करता हैं। ऐसा बिजनेस जिसे आमतौर पर लोग नहीं जानते हैं। क्या करते हैं त्रिशनित, कैसे खड़ा किया करोड़ों का कारोबार...
त्रिशनित एथिकल हैकर हैं। एथिकल हैकिंग में नेटवर्क या सिस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी इवैल्युएट की जाती है।
certified hackers इसकी निगरानी करते हैं, ताकि कोई नेटवर्क या सिस्टम (कम्प्यूटर) इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी तोड़कर कॉन्फिडेन्शियल चीजें न तो उड़ा सके और न ही वायरस या दूसरे मीडियम्स के जरिए कोई नुकसान पहुंचा सके।
मिडल क्लास फैमिली में पैदा हुए लुधियाना के त्रिशनित अरोड़ा का बपचन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगता था।
उनकी कम्प्यूटर में इतनी रुचि थी कि सारा वक्त इसी में चला जाता, बाकी सब्जेक्ट्स की तैयारी के लिए उनके पास समय ही नहीं होता था।
वे बताते हैं कि आठवीं में पढ़ता था, उस वक्त भी कम्प्यूटर और एथिकल हैकिंग में मेरी दिलचस्पी थी।
पेरेंट्स को उनका काम पसंद नहीं था
कम्प्यूटिंग पढ़ने में इतना मग्न हो गया कि पढ़ाई ही नहीं की। दो पेपर नहीं दिए और फेल हो गया।
मम्मी-पापा ने खूब डांटा। दोस्त और परिवार के लोग भी मजाक उड़ाते, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी।
फेल होने के बाद रेग्युलर पढ़ाई छोड़ दी और आगे 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने कॉरेस्पॉन्डेंस से की।
इसके साथ-साथ वे कम्प्यूटर और हैकिंग के बारे में लगातार नई जानकारियां भी इकट्ठा करते रहे।
उनकी हाउस वाइफ मां और अकाउंटेंट पिता इस काम को पसंद नहीं करते थे।
लेकिन त्रिशनित कम्प्यूटर में अपने शौक को ही करियर बनाना का फैसला कर चुके थे।
शुरुआत में उनकी बातें सुन कर लोग मुस्कुरा देते। मीडिया भी गंभीरता से नहीं लेता।
लेकिन फिर वह अपने काम के जरिए साबित करते कि कैसे विभिन्न कंपनियों का डाटा चुराया जा रहा है और इन दिनों हैकिंग के क्या तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
धीरे-धीरे उनके काम को मान्यता मिलने लगी। कंपनियां उनके काम को सराहने लगीं।
एक साल पहले जब उनकी उम्र 21 वर्ष थी, उन्होंने TAC सिक्युरिटी नाम की साइबर सिक्युरिटी कंपनी बनाई।
त्रिशनित अब रिलायंस, सीबीआई, पंजाब पुलिस, गुजरात पुलिस, अमूल और एवन साइकिल जैसी कंपनियाें को साइबर से जुड़ी सर्विसेज दे रहे हैं।
दुबई-यूके में वर्चुअल ऑफिस, ऐसे मिली ट्रेनिंग
दुबई और यूके में कंपनी का वर्चुअल ऑफिस है। करीब 40% क्लाइंट्स इन्हीं ऑफिसेस से डील करते हैं।
दुनियाभर में 50 फॉर्च्यून और 500 कंपनियां क्लाइंट हैं।
दो हजार करोड़ के टर्नओवर पर नजर
अब त्रिशनित की नजर कंपनी के बिजनेस को यूएस ले जाने की है।
उन्होंने इसी साल जनवरी में दिए एक अलग इंटरव्यू में कहा था कि वे कंपनी का टर्नओवर बढ़ाकर इसे दो हजार करोड़ रुपए तक ले जाना चाहते हैं।
त्रिशनित का कहना है कि फेल होने के बाद उन्हें ये समझ में आया कि ‘पैशन’ के आगे पढ़ाई मायने नहीं रखती।
फिलहाल वह अपने काम में व्यस्त हैं
भविष्य में वक्त मिलने पर मैनेजमेंट के साथ ग्रैजुएशन करना चाहेंगे।
हालांकि, वह degree or formula education को कामयाबी या जीवनयापन के लिए जरूरी नहीं मानते।
वह कहते हैं कि स्कूली पढ़ाई को उतना ही महत्व दीजिए जितना जरूरी है। ये जीवन का हिस्सा है लेकिन पूरा जीवन नहीं है।
वे कहते हैं कि असफलताओं से कभी निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि असफलताएं ही आगे बढ़ने का रास्ता बताती हैं और आपको अपने मजबूत पक्ष का बेहतर पता चलता है।एस तरह की real life stories पढ़ने के लिए हमारी website- http://kpmagazine.blogspot.com
पर click करें।
'Hacking talk with trishnit Arora ' ' the king Era ' Hacking with smart phone' जैसी किताबें लिख चुके हैं। वे साइबर क्राइम के लिए पुलिस को भी अपनी सर्विस देते हैं।
लुधियाना(पंजाब). कम्प्यूटर में गहरी दिलचस्पी। इस वजह से पढ़ाई के दौरान एग्जाम में फेल भी हो गए। घर वालों ने नाराजगी जताई। लेकिन इस लड़के की जिद अलग थी। कुछ नया, पर अपने मन की करना। उन्होंने कर दिखाया। तभी तो महज 22 साल की उम्र में त्रिशनित अरोड़ा नाम का ये लड़का आज करोड़ों का कारोबार करता हैं। ऐसा बिजनेस जिसे आमतौर पर लोग नहीं जानते हैं। क्या करते हैं त्रिशनित, कैसे खड़ा किया करोड़ों का कारोबार...
त्रिशनित एथिकल हैकर हैं। एथिकल हैकिंग में नेटवर्क या सिस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी इवैल्युएट की जाती है।
certified hackers इसकी निगरानी करते हैं, ताकि कोई नेटवर्क या सिस्टम (कम्प्यूटर) इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी तोड़कर कॉन्फिडेन्शियल चीजें न तो उड़ा सके और न ही वायरस या दूसरे मीडियम्स के जरिए कोई नुकसान पहुंचा सके।
मिडल क्लास फैमिली में पैदा हुए लुधियाना के त्रिशनित अरोड़ा का बपचन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगता था।
उनकी कम्प्यूटर में इतनी रुचि थी कि सारा वक्त इसी में चला जाता, बाकी सब्जेक्ट्स की तैयारी के लिए उनके पास समय ही नहीं होता था।
वे बताते हैं कि आठवीं में पढ़ता था, उस वक्त भी कम्प्यूटर और एथिकल हैकिंग में मेरी दिलचस्पी थी।
पेरेंट्स को उनका काम पसंद नहीं था
कम्प्यूटिंग पढ़ने में इतना मग्न हो गया कि पढ़ाई ही नहीं की। दो पेपर नहीं दिए और फेल हो गया।
मम्मी-पापा ने खूब डांटा। दोस्त और परिवार के लोग भी मजाक उड़ाते, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी।
फेल होने के बाद रेग्युलर पढ़ाई छोड़ दी और आगे 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने कॉरेस्पॉन्डेंस से की।
इसके साथ-साथ वे कम्प्यूटर और हैकिंग के बारे में लगातार नई जानकारियां भी इकट्ठा करते रहे।
उनकी हाउस वाइफ मां और अकाउंटेंट पिता इस काम को पसंद नहीं करते थे।
लेकिन त्रिशनित कम्प्यूटर में अपने शौक को ही करियर बनाना का फैसला कर चुके थे।
शुरुआत में उनकी बातें सुन कर लोग मुस्कुरा देते। मीडिया भी गंभीरता से नहीं लेता।
लेकिन फिर वह अपने काम के जरिए साबित करते कि कैसे विभिन्न कंपनियों का डाटा चुराया जा रहा है और इन दिनों हैकिंग के क्या तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
धीरे-धीरे उनके काम को मान्यता मिलने लगी। कंपनियां उनके काम को सराहने लगीं।
एक साल पहले जब उनकी उम्र 21 वर्ष थी, उन्होंने TAC सिक्युरिटी नाम की साइबर सिक्युरिटी कंपनी बनाई।
त्रिशनित अब रिलायंस, सीबीआई, पंजाब पुलिस, गुजरात पुलिस, अमूल और एवन साइकिल जैसी कंपनियाें को साइबर से जुड़ी सर्विसेज दे रहे हैं।
दुबई-यूके में वर्चुअल ऑफिस, ऐसे मिली ट्रेनिंग
दुबई और यूके में कंपनी का वर्चुअल ऑफिस है। करीब 40% क्लाइंट्स इन्हीं ऑफिसेस से डील करते हैं।
दुनियाभर में 50 फॉर्च्यून और 500 कंपनियां क्लाइंट हैं।
दो हजार करोड़ के टर्नओवर पर नजर
अब त्रिशनित की नजर कंपनी के बिजनेस को यूएस ले जाने की है।
उन्होंने इसी साल जनवरी में दिए एक अलग इंटरव्यू में कहा था कि वे कंपनी का टर्नओवर बढ़ाकर इसे दो हजार करोड़ रुपए तक ले जाना चाहते हैं।
त्रिशनित का कहना है कि फेल होने के बाद उन्हें ये समझ में आया कि ‘पैशन’ के आगे पढ़ाई मायने नहीं रखती।
फिलहाल वह अपने काम में व्यस्त हैं
भविष्य में वक्त मिलने पर मैनेजमेंट के साथ ग्रैजुएशन करना चाहेंगे।
हालांकि, वह degree or formula education को कामयाबी या जीवनयापन के लिए जरूरी नहीं मानते।
वह कहते हैं कि स्कूली पढ़ाई को उतना ही महत्व दीजिए जितना जरूरी है। ये जीवन का हिस्सा है लेकिन पूरा जीवन नहीं है।
वे कहते हैं कि असफलताओं से कभी निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि असफलताएं ही आगे बढ़ने का रास्ता बताती हैं और आपको अपने मजबूत पक्ष का बेहतर पता चलता है।एस तरह की real life stories पढ़ने के लिए हमारी website- http://kpmagazine.blogspot.com
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